चंदा मांगने पहुँचे समिति पदाधिकारी लौटे खाली हाथ
जानकारी के अनुसार, सोमवार को परंपरा के अनुसार गणेश पंडाल समितियों के पदाधिकारी नगर पंचायत पहुँचे थे, जहाँ उन्होंने चंदा माँगा। लेकिन चंदा देने के बजाय नगर पंचायत के सीएमओ राजेन्द्र पात्रे ने उन्हें पंडाल से जुड़े नियम समझाने शुरू कर दिए। उन्होंने शासन के एक सर्कुलर का हवाला देते हुए कहा कि पंडाल लगाने के लिए क्षेत्रफल का विवरण और टैक्स की जानकारी आवश्यक है।
पदाधिकारियों के मुताबिक, सीएमओ ने पुरानी बस्ती समिति को 45 हजार, आदर्श नगर समिति को 70 हजार और डुगडुगिया समिति को 40 हजार का टैक्स बताया। वहीं, सनातन धर्म समिति से तो यह तक पूछ लिया गया कि जिस जमीन पर पंडाल लगाया गया है, वह निजी है या सार्वजनिक। इससे नाराज़ होकर पदाधिकारी चंदा माँगने की बजाय उल्टे पाँव लौट गए।
विवाद गरमाया, नाराज़ समिति
यह मामला अब पूरे कुनकुरी नगर में चर्चा का विषय बन गया है। समिति के पदाधिकारियों ने इसे धार्मिक परंपरा में हस्तक्षेप बताते हुए नाराज़गी जताई है। उनका कहना है कि पहली बार भगवान की पूजा पर टैक्स की बात उठाई गई है, जो अस्वीकार्य है।
सीएमओ का बयान
जब इस संबंध में सीएमओ राजेन्द्र पात्रे से जानकारी ली गई तो उन्होंने कोई आधिकारिक बयान देने से इनकार कर दिया। उन्होंने केवल इतना कहा कि नियमों की जानकारी दी गई थी, न कि टैक्स वसूला गया। अभी तक न तो कोई लिखित आदेश जारी किया गया है और न ही टैक्स की दरें निर्धारित की गई हैं।
पहले भी हो चुका विवाद
गौरतलब है कि बीते माह कुनकुरी में बन रहे विसर्जन तालाब पर भगवान शंकर की प्रतिमा लगाने को लेकर भी विवाद हो चुका है। उस मुद्दे पर अभी तक स्थिति पूरी तरह शांत नहीं हुई थी कि अब गणेश पंडालों को लेकर नया बखेड़ा खड़ा हो गया है।