अमृता फडणवीस ट्रोलिंग विवाद: कपड़े नहीं, समाजसेवा पर हो चर्चा ।

SABAG NEWS


मुंबई।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस अक्सर अपने सामाजिक कार्यों और सक्रियता के कारण सुर्खियों में रहती हैं। हाल ही में वे मुंबई के जुहू बीच पर गणेश विसर्जन के बाद हुए सफाई अभियान में शामिल हुईं। इस मौके पर उनके साथ सुपरस्टार अक्षय कुमार और बिल्डर निर्मल हीरानंदानी भी मौजूद थे। हालांकि, जहां एक ओर इस पहल को लोगों ने सराहा, वहीं दूसरी ओर अमृता फडणवीस को उनके कपड़ों को लेकर सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा।

बीच सफाई में सक्रिय भागीदारी

गणेश विसर्जन के बाद जुहू बीच पर भारी मात्रा में कचरा फैला हुआ था। इस दौरान समाजसेवा का संदेश देने के लिए कई नामचीन हस्तियों ने बीच सफाई अभियान में हिस्सा लिया। अमृता फडणवीस ने भी इसमें बढ़-चढ़कर योगदान दिया। उन्होंने प्लास्टिक और अन्य गंदगी को साफ करने में हाथ बंटाया और पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संदेश दिया।

ट्रोलिंग का विवाद

सफाई अभियान में अमृता फडणवीस ने स्किन-टाइट स्पोर्ट्सवियर पहन रखा था। सफाई का यह वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, कुछ लोगों ने उनके कपड़ों पर सवाल उठाना शुरू कर दिया। कई लोगों ने ट्रोलिंग करते हुए कहा कि उन्हें अपने पति की राजनीतिक छवि का ख्याल रखना चाहिए। हालांकि, बड़ी संख्या में लोगों ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अमृता का पहनावा व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मामला है और उनका मूल्यांकन उनके सामाजिक कार्यों के आधार पर होना चाहिए।

स्वतंत्रता और समाज की सोच

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस एक बार फिर इस सवाल को उठाती है कि महिलाओं के पहनावे को लेकर समाज इतना संवेदनशील क्यों है। किसी के कपड़े उसके व्यक्तित्व या उसकी नीयत को परिभाषित नहीं कर सकते। खासकर जब कोई महिला समाजहित के कामों में सक्रिय रूप से हिस्सा ले रही हो, तब उसकी आलोचना कपड़ों को लेकर करना कहीं से भी उचित नहीं कहा जा सकता।

अमृता की पहचान

अमृता फडणवीस सिर्फ एक राजनेता की पत्नी नहीं हैं, बल्कि वे एक बैंकर, प्लेबैक सिंगर, सोशल वर्कर और स्टाइल आइकन भी हैं। उन्होंने समय-समय पर विभिन्न सामाजिक अभियानों में अपनी भागीदारी साबित की है। हाल ही में गणपति विसर्जन के बाद शुरू किए गए उनके क्लीनअप ड्राइव को लोगों से सराहना मिली।

निष्कर्ष

अमृता फडणवीस को लेकर ट्रोलिंग का मुद्दा यह दर्शाता है कि समाज अभी भी महिलाओं को उनके कार्यों की बजाय कपड़ों से आंकने की प्रवृत्ति रखता है। जरूरत है कि चर्चा उनके काम पर हो, ना कि उनके पहनावे पर।

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